भारत की विविध जलवायु ताजा फल और सब्जियों के सभी किस्मों की उपलब्धता को सुनिश्चित करती है। यह चीन के बाद विश्व में फलों और सब्जियों के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2023-24 के दौरान, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा प्रकाशित रास्ट्रीय बागवानी डेटाबेस (दूसरा अग्रिम अनुमान) के अनुसार, भारत में फलों का उत्पादन 112.62 मिलियन मीट्रिक टन व सब्जियों का उत्पादन 204.96 मिलियन मीट्रिक टन हुआ। फलों की खेती 7.04 मिलियन हेक्टयर में की गई जबकि सब्ज़ियों की खेती के अंतर्गत 11.11 मिलियन हेक्टयर क्षेत्र मे की गई।
भारत सब्जियों में प्याज, अदरक और भिंडी का सबसे बड़ा उत्पादक है और आलू, फूलगोभी, बैंगन, पत्तागोभी आदि के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। फलों में, देश केले (25.56%), आम (मैंगोस्टीन और अमरूद सहित) (44.46%) और पपीता (38.64%) के उत्पादन में पहले स्थान पर है।
विशाल उत्पादन की वजह से भारत के पास निर्यात के काफी अवसर हैं। वर्ष 2023-24 के दौरान भारत ने फलों और सब्जियों का 15039.27 करोड़ रुपए / 1814.58 मिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात किया जिसमें फलों का निर्यात 8178.22 करोड़ रुपए / 986.32 मिलियन अमरीकी डॉलर और सब्जियों का निर्यात 6,861.05 करोड़ रुपए / 828.26 मिलियन अमरीकी डॉलर का किया गया था।
वर्ष 2023-24 में दालों सहित प्रसंस्कृत फलों और सब्जियों का निर्यात 20,623.70 करोड़ रुपये/ 2,488.72 मिलियन अमरीकी डॉलर था, जिसमें दालों सहित प्रसंस्कृत सब्जियां 14,339.94 करोड़ रुपये/ 1,730.79 मिलियन अमरीकी डॉलर और संसाधित फल और जूस 6,283.76 करोड़ रुपये / 757.93 मिलियन अमरीकी डॉलर शामिल थे।
हमारे देश से फलों में अंगूर, अनार, आम, केले और संतरे अधिक मात्रा में निर्यात किए जाते हैं जबकि सब्जियों की निर्यातित टोकरी में प्याज, सन्योजित सब्जियां, आलू, टमाटर और हरी मिर्च का अधिक योगदान है।
भारतीय ताजे फलों और सब्जियों के प्रमुख गंतव्य बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड, नेपाल, मलेशिया, इराक, यू.के., श्रीलंका, ईरान, ओमान और सऊदी अरब हैं।
भारतीय प्रसंस्कृत फलों और सब्जियों के प्रमुख गंतव्य संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश, यू.के., सऊदी अरब, चीन और नीदरलैंड हैं।
यद्यपि विश्व बाजार में भारत का अंशदान लगभग एक प्रतिशत है फिर भी देश से बागवानी उपज की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही है। देश में अद्यतन अर्थात कोल्ड चेन आधारभूत सुविधाओं तथा गुणवत्ता आश्वस्तता तरीकों में समवर्ती विकास से यह संभव हो वृहद है। निजी क्षेत्र द्वारा वृहद निवेश किए जाने के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र ने भी पहलकदमियां की हैं और एपीडा की सहायता से देश में विभिन्न बिक्री कार्गों केन्द्रों तथा समेकित कटाई उपरांत सुविधाओं का सृजन किया गया है। इस प्रयास से किसानों, संसाधकों और निर्यातकों के स्तर पर क्षमता विकास पहलकदमियां से भी काफी सहायता मिली है।