भारतीय श्री अन्न (मिलेट्स) पौष्टिकता से भरपूर समृद्ध, सूखा सहिष्णु फसल है जो ज्यादातर भारत के शुष्क एवं अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगाया जाता है। यह एक छोटे बीज वाली घास के प्रकार का होता है जो वनस्पति प्रजाति “(Poaceae)” से संबंधित हैं। यह लाखों संसाधन रहित गरीब किसानों के लिए खाद्य एवं पशु-चारे का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं तथा भारत की पारिस्थितिक और आर्थिक सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस श्री अन्न (मिलेट्स) को "मोटा अनाज" या "गरीबों के अनाज" के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय श्री अन्न (मिलेट्स) पौष्टिकता से भरपूर गेहूं और चावल से बेहतर है क्योंकि यह प्रोटीन, विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं। यह ग्लूटेन-मुक्त भी होते हैं और इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स निम्न होता है, जो इन्हें सीलिएक डिज़ीज़ या मधुमेह रोगियों के लिए अनुकूल बनाता है। भारत विश्व में श्री अन्न (मिलेट्स) के शीर्ष 5 निर्यातकों में से एक है। श्री अन्न (मिलेट्स) का विश्व निर्यात 2020 में 400 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2021 (आईटीसी व्यापार मानचित्र) में 470 मिलियन डॉलर हो गया है। भारत ने 2021-22 में 62.95 मिलियन डॉलर के मुकाबले वर्ष 2022-23 में 75.46 मिलियन डॉलर मूल्य के श्री अन्न (मिलेट्स) का निर्यात किया। श्री अन्न (मिलेट्स) आधारित मूल्यवर्धित उत्पादों की हिस्सेदारी नगण्य है।
भारत विश्व में अनाज उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ-साथ सबसे बड़ा निर्यातक भी है। वर्ष 2022-23 के दौरान भारत का अनाज का निर्यात 111,062.37 करोड़ रुपये / 13,857.95 मिलियन अमरीकी डालर रहा। चावल (बासमती और गैर-बासमती सहित) इसी अवधि के दौरान भारत के कुल अनाज निर्यात में 80% (मूल्य के संदर्भ में) के साथ प्रमुख हिस्सेदारी रखता है। जबकि, गेहूं सहित अन्य अनाज इस अवधि के दौरान भारत से निर्यात किए गए कुल अनाज का केवल 20% हिस्सा दर्शाते हैं।
श्री अन्न (मिलेट्स) के लाभ:
- श्री अन्न (मिलेट्स) पारिस्थितिक परिस्थितियों की एक व्यापक श्रृंखला के लिए अत्यधिक अनुकूल है तथा यह फसल वर्षा-सिंचित क्षेत्र में अच्छी तरह से पनपता है; इस फसल को शुष्क जलवायु और पानी, उर्वरकों और कीटनाशकों की न्यूनतम आवश्यकता होती है।
- स्वास्थ्यवर्धक पौष्टिकता से भरपूर फसल: अन्य अनाजों की तुलना में इसमें बेहतर सूक्ष्म पोषक तत्व एवं बायोएक्टिव फ्लेवोनोइड पाए जाते हैं।
- श्री अन्न (मिलेट्स) में निम्न ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) होता है तथा यह मधुमेह की रोकथाम से भी जुड़ा होता है।
- यह आयरन, जिंक तथा कैल्शियम जैसे खनिजों का उपयुक्त स्रोत है।
- श्री अन्न (मिलेट्स) ग्लूटेन-मुक्त होता है और सीलिएक रोग के रोगियों द्वारा इसका सेवन भी किया जा सकता है।
- श्री अन्न (मिलेट्स) का हाइपरलिपिडिमिया के प्रबंधन और रोकथाम और सीवीडी के जोखिम पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है।
- श्री अन्न (मिलेट्स) वजन घटाने, बीएमआई और उच्च रक्तचाप में सहायक पाया गया है।
- भारत में, श्री अन्न (मिलेट्स) का सेवन आम तौर पर फलियों के साथ किया जाता है, जो प्रोटीन का परस्पर पूरक बनाता है तथा अमीनो एसिड सामग्री को बढ़ाता है, एवं प्रोटीन की समग्र पाचनशक्ति में सुधार करता है।
- पकाने के लिए तैयार, खाने के लिए तैयार श्रेणी में श्री अन्न (मिलेट्स) आधारित मूल्य वर्धित उत्पाद शहरी आबादी को आसानी से सुलभ और सुविधाजनक रूप से प्राप्त है।
- श्री अन्न (मिलेट्स) का उपयोग खाद्य पदार्थ के साथ-साथ पशु-चारे के रूप में दोहरे प्रयोजन के लिए भी किया जाता है, जो इसकी खेती को अधिक कुशल बनाता है।
- श्री अन्न (मिलेट्स) की खेती कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में सहायता प्रदान करती है।
भारतीय श्री अन्न (मिलेट्स) उत्पादन परिदृश्य:
श्री अन्न (मिलेट्स) एक प्रकार का अनाज है जो विश्व के कई भागों विशेषत: अफ्रीका एवं एशिया में लोकप्रिय है। यह विश्व के कई हिस्सों विशेष रूप से अफ्रीका एवं एशिया का मूल भोजन है। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के अनुसार, अनुमानित 1.2 बिलियन आबादी अपने आहार के रूप में श्री अन्न (मिलेट्स) का सेवन करते हैं।
वर्ष 2020 में 28 मिलियन मीट्रिक टन के अनुमानित उत्पादन के साथ पिछले कुछ वर्षों में श्री अन्न (मिलेट्स) उत्पादन अपेक्षाकृत स्थिर रहा है। श्री अन्न (मिलेट्स) का अधिकांश उत्पादन अफ्रीका में होता है, जिसके बाद एशिया का स्थान आता है। भारत श्री अन्न (मिलेट्स) का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसके बाद नाइजर तथा चीन का स्थान आता है। अन्य प्रमुख श्री अन्न (मिलेट्स)-उत्पादक देशों में बुर्किना फासो, माली और सेनेगल शामिल हैं। चूंकि विकसित देशों में श्री अन्न (मिलेट्स) एक प्रमुख खाद्य फसल नहीं है, यह विकासशील देशों में कई लोगों के आहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। श्री अन्न (मिलेट्स) एक सूखा-सहिष्णु फसल है, जहां अन्य फसलें उगने में विफल हो जाती हैं वहाँ इसे शुष्क, निर्जल जलवायु में भी उगाया जा सकता है। यह एक पौष्टिक अनाज भी है जिसमें फाइबर एवं आवश्यक खनिजों की उच्चतम मात्रा पाई जाती है। इन कारणों से, श्री अन्न (मिलेट्स) आने वाले वर्षों में एक महत्वपूर्ण खाद्य फसल बना रहेगा।
भारत में हाल के वर्षों में श्री अन्न (मिलेट्स) का उत्पादन बढ़ रहा है। भारत श्री अन्न (मिलेट्स) के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है और भारतीय किसान सूखा प्रतिरोधी फसल के रूप में इसकी खेती तेजी से कर रहे हैं। भारत सरकार भी अपने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के भाग के रूप में श्री अन्न (मिलेट्स) के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। इन कारकों के परिणामस्वरूप, भारत में आने वाले वर्षों में श्री अन्न (मिलेट्स) के उत्पादन में वृद्धि जारी रहने की आशा की गई है। नीचे दिया गया ग्राफ भारत में श्री अन्न (मिलेट्स) के उत्पादन की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
भारतीय श्री अन्न (मिलेट्स) स्रोत बिंदु (सोर्सिंग पॉइंट):
भारत श्री अन्न (मिलेट्स) के प्रमुख उत्पादकों एवं आपूर्तिकर्ताओं में से एक है, और अखिल देश में कई श्री अन्न (मिलेट्स) स्रोत बिंदु स्थित हैं। भारत में मुख्य श्री अन्न (मिलेट्स) उगाने वाले राज्य राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश हैं, इन राज्यों में बड़ी संख्या में श्री अन्न (मिलेट्स) किसान हैं जो घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों के लिए अनाज उगाते हैं। प्रमुख श्री अन्न (मिलेट्स) उत्पादक राज्यों के अतिरिक्त, अखिल भारत में कई छोटे श्री अन्न (मिलेट्स) उत्पादक क्षेत्र भी स्थित हैं। इन क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश राज्य शामिल हैं।
श्री अन्न (मिलेट्स) |
वैज्ञानिक नाम |
बाजरा (Pearl Millet) |
पेनिसेटम ग्लौकम एल. (Pennisetum glaucum .L.) |
जवार (Sorghum) |
सोरघम बाइकलर (Sorghum bicolour) |
रागी (Finger Millet) |
एलुसिनियन कोरकाना (Eleusine coracana) |
छोटा बाजरा (Small Millets): |
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I. कंगनी/फॉक्सटेल (Foxtail millet) |
सेटरिया इतालिक (Setaria italic) |
II. सांवा/बार्नयार्ड (Barnyard Millet) |
इचिनोक्लोआ फ्रमेनेशिया (Echinochloa frumentacea) |
III. कोडो (Kodo Millet) |
पास्पलस स्क्रोबिकुलटम (Paspalum scrobiculatum) |
IV. चीना/प्रोसो (Proso Millet) |
पैनिकम मिलिएसियम एल. (Panicum miliaceum L.) |
V. कुटकी (Little Millet) |
पैनिकम सुमंत्रेंसा (Panicum sumatrense) |
दो छद्म मिलेट I. बक व्हीट (कुट्टू) (Two Pseudo Millets: I.Buck wheat(Kuttu)) |
फैगोपिरम एस्कलेंटम (Fagopyrum esculentum) |
II. ऐमारैंथस (चौलाई) Amaranthus (Chaulai) |
अमरनथस विरिदिस (Amaranthus viridis) |
सबसे व्यापक रूप से खेती किया जाने वाला श्री अन्न (मिलेट्स) बाजरा (Pearl Millet) है। बड़े तने, पत्ते और शीर्ष भाग ग्रीष्मकालीन अनाज घास की विशेषता है। बाजरा एक प्रकार का मोटा अनाज है और भारत में सबसे अधिक खेती की जाने वाली फसलों में से एक है। यह एक अल्पावधि फसल है और इसे वर्षा एवं सिंचित आधारित दोनों स्थितियों में उगाया जा सकता है। बाजरा प्रोटीन, खनिज एवं विटामिन का एक समृद्ध स्रोत है तथा ऊर्जा का उपयुक्त स्रोत है। यह फाइबर का भी एक उचित स्रोत है।
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बाजरा (Pearl Millet) पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम |
ऊर्जा (केसीएएल) |
361 |
प्रोटीन |
11.6 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट |
65.5 ग्राम |
क्रूड फाइबर |
1.2 ग्राम |
कैल्शियम |
42 मिलीग्राम |
आइरन |
8.0 मिलीग्राम |
स्रोत: भारतीय खाद्य का पोषक मूल्य, एनआईएन, आईसीएमआर 2018
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Sorghum, जिसे ज्वार के नाम से भी जाना जाता है, भारत में उगाया जाने वाला एक प्रकार का अनाज है। ज्वार ग्रामीण परिवार की फसल है जिसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती है और इसका वैज्ञानिक नाम Sorghum bicolor L. है। यह एक सूखा-सहिष्णु फसल है जिसे कम या बिना सिंचाई वाले क्षेत्रों में उगाया जा सकता है। ज्वार पौष्टिकता से भरपूर अनाज है जिसमें फाइबर एवं प्रोटीन की उच्चतम मात्रा पाई जाती है। यह आयरन एवं मैग्नीशियम सहित विटामिन व खनिजों का भी उपयुक्त स्रोत है। ज्वार का उपयोग आम तौर पर आटा बनाने में किया जाता है, जिसका उपयोग रोटी, दलिया और अन्य खाद्य पदार्थों को बनाने के लिए किया जाता है। यह लाखों अर्ध-शुष्क निवासियों की मुख्य फसलों में से एक है तथा इसे "किंग ऑफ मिलेट्स" के रूप में भी जाना जाता है।
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ज्वार (Sorghum) पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम |
ऊर्जा (केसीएएल) |
349 |
प्रोटीन |
10.4 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट |
72.6 ग्राम |
क्रूड फाइबर |
1.6 ग्राम |
कैल्शियम |
25 ग्राम |
आइरन |
4.1 मिलीग्राम |
स्रोत: भारतीय खाद्य का पोषक मूल्य, एनआईएन, आईसीएमआर 2018
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पूर्वी अफ्रीका एवं एशिया में एक प्रकार का मुख्य अनाज रागी है, जिसे भारत (भारत, नेपाल) में रागी के नाम से जाना जाता है। तने के शीर्ष पर, पौधे में कई स्पाइक्स या "भाग" होते हैं। इसके दाने छोटे (व्यास में 1-2 मिमी) होते हैं। रागी खनिज, डाइटरी फाइबर, पॉलीफेनोल्स और एवं से भरपूर होता है। कैल्शियम से भरपूर रागी बढ़ते बच्चों, गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ मोटापे, मधुमेह और कुपोषण से पीड़ित लोगों के लिए भी अहम भूमिका निभाता है। रागी में गुर्दे (किडनी) और मस्तिष्क के समुचित कार्य के लिए उच्च मात्रा में पोटेशियम होता है और यह मस्तिष्क व मांसपेशियों को सुचारू रूप से कार्य करने की क्षमता रखता है।
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रागी (Finger Millet) पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम |
ऊर्जा (केसीएएल) |
328 |
प्रोटीन |
7.3 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट |
72 ग्राम |
क्रूड फाइबर |
2.6 ग्राम |
कैल्शियम |
344 मिलीग्राम |
आइरन |
8.9 मिलीग्राम |
स्रोत: भारतीय खाद्य का पोषक मूल्य, एनआईएन, आईसीएमआर 2018
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कंगनी/फॉक्सटेल (Foxtail millet) एक ठोस किस्म की फसल है जो खराब, शुष्क परिस्थितियों में भी बढ़ सकती है और उच्च तापमान को सहन कर सकती है। यह तेजी से बढ़ने वाला पौधा है, जिसका तात्पर्य यह है कि इसे उगने के लिए दिन के 12 घंटे से भी कम समय की आवश्यकता होती है। यह कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है जो शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को संतुलित करने में मदद करता है। इसमें आयरन की मात्रा अधिक होती है। कंगनी समग्र इम्यूनिटी, कुपोषण में भी सुधार कर सकता है। इसमें किडनी और दिमाग के समुचित कार्य के लिए उच्च मात्रा में पोटेशियम होता है और यह मस्तिष्क और मांसपेशियों को सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करता है।
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कंगनी/फॉक्सटेल (Foxtail millet) पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
पोषक तत्व 100 ग्राम |
ऊर्जा (केसीएएल) |
331 |
प्रोटीन |
12.30 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट |
60.9 ग्राम |
क्रूड फाइबर |
14.0 मिलीग्राम |
कैल्शियम |
31 मिलीग्राम |
आइरन |
3.6 मिलीग्राम |
स्रोत: भारतीय खाद्य का पोषक मूल्य, एनआईएन, आईसीएमआर 2018
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सांवा/बार्नयार्ड (Barnyard Millet), मिलेट्स सूची में सबसे लोकप्रिय है और इसे सांवा के नाम से भी जाना जाता है। यह उच्च मात्रा में फाइबर युक्त होता है जो मल त्याग (बॉविल मूवमेंट) को बेहतर बनाने और वजन घटाने में मदद करता है। यह कैल्शियम और फास्फोरस से भरपूर होता है, जो हड्डियों के घनत्व को मजबूत कर सकता है। बार्नयार्ड का उपयोग आम तौर पर मनुष्यों के भोजन और पशु चारे के रूप में किया जाता है।
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सांवा/बार्नयार्ड (Barnyard Millet) पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
पोषक तत्व 100 ग्राम |
ऊर्जा (केसीएएल) |
341 |
प्रोटीन |
7.7 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट |
67.0 ग्राम |
क्रूड फाइबर |
7.6 मिलीग्राम |
कैल्शियम |
17 मिलीग्राम |
आइरन |
9.3 मिलीग्राम |
स्रोत: भारतीय खाद्य का पोषक मूल्य, एनआईएन, आईसीएमआर 2018
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कोडो (Kodo Millet) जिसे कोडोन भी कहा जाता है, लेसिथिन एमिनो एसिड की उच्च मात्रा के साथ एक पचनशील पोषक तत्व का एक प्रकार है। इसका तंत्रिका तंत्र (nervous system) को मजबूत करने पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। कोडो अन्य विटामिन और खनिजों में B विटामिन, विशेष रूप से नियासिन, B6, और फोलिक एसिड का मुख्य स्रोत है। इसमें कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, मैग्नीशियम और जिंक मिनरल होते हैं। ग्लूटेन-मुक्त मिलेट्स होने के चलते, यह ग्लूटेन-असहिष्णु व्यक्तियों के लिए काफी बेहतर सिद्ध हुआ है। यह पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं द्वारा नियमित रूप से खाए जाने पर हृदय संबंधी विकारों जैसे उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को दूर कर सकता है।
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कोडो (Kodo Millet) पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम |
ऊर्जा (केसीएएल) |
302 |
प्रोटीन |
8.03 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट |
69.9 ग्राम |
क्रूड फाइबर |
8.5 मिलीग्राम |
कैल्शियम |
22.0 मिलीग्राम |
आइरन |
9.9 मिलीग्राम |
स्रोत: भारतीय खाद्य का पोषक मूल्य, एनआईएन, आईसीएमआर 2018
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चीना/प्रोसो (Proso millet) खनिज, डाइटरी फाइबर, पॉलीफेनोल्स, विटामिन और प्रोटीन से भरपूर होता है। यह ग्लूटेन मुक्त होता है और इसलिए, ग्लूटेन असहिष्णु लोगों के लिए उपयुक्त होता है। प्रोसो में उच्च मात्रा में लेसितिण (lecithin) होता है जो तंत्रिका स्वास्थ्य प्रणाली (neural health system) की सुरक्षा करता है। यह विटामिन (नियासिन, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन, फोलिक एसिड), खनिज (P, Ca, Zn, Fe) और आवश्यक अमीनो एसिड (मेथियोनीन और सिस्टीन) से भरपूर होता है।
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चीना/प्रोसो (Proso millet) पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम |
ऊर्जा (केसीएएल) |
309 |
प्रोटीन |
8.30 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट |
65.90 ग्राम |
क्रूड फाइबर |
9.00 मिलीग्राम |
कैल्शियम |
27.00 मिलीग्राम |
आइरन |
0.50 मिलीग्राम |
स्रोत: भारतीय खाद्य का पोषक मूल्य, एनआईएन, आईसीएमआर 2018
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कुटकी (Little Millet) (Panicummiliare) अखिल भारत में उगाया जाता है तथा यह एक पारंपरिक फसल भी है। यह प्रोसो की एक प्रजाति है परंतु कुटकी के बीज प्रोसो की तुलना में बहुत सूक्ष्म होते हैं। इसे मोराइयो, कुटकी, शवन और साम भी कहा जाता है। यह विटामिन B और कैल्शियम, आयरन, जिंक और पोटेशियम जैसे आवश्यक खनिजों से भरपूर होता है। भारत के दक्षिणी राज्यों में कई पारंपरिक व्यंजनों में कुटकी का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। यह चावल का एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है और इससे वजन भी नहीं बढ़ता है।
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कुटकी (Little Millet) पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम |
ऊर्जा (केसीएएल) |
314 |
प्रोटीन |
10.13 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट |
65.55 ग्राम |
क्रूड फाइबर |
7.72 मिलीग्राम |
कैल्शियम |
32.00 मिलीग्राम |
आइरन |
1.30 मिलीग्राम |
स्रोत: भारतीय खाद्य का पोषक मूल्य, एनआईएन, आईसीएमआर 2018
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