एस.पी.एस मुद्दों के लिए सचिवालयः


1 जनवरी, 1995 को विश्व व्यापार संगठन की स्थापना के साथ सैनिटरी और साइटो-सैनिटरी उपायों (एस.पी.एस समझौते) के आवेदन पर समझौता किया गया। यह खाद्य सुरक्षा और पशु और पौधे के स्वास्थ्य नियमों के आवेदन से संबंधित है।



।. एस.पी.एस समझौते के उद्देश्यः


वैज्ञानिक रुप से उचित होने पर सैनिटरी और साइटो-सैनिटरी उपायों को अपनाने के लिए सदस्यों का अधिकार पहचानते समय, एस.पी.एस समझौते का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि खाद्य और पशु या पौधे के जीवन या स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए ऐसे उपायों को लागू नहीं किया जा सकता है जिससे सदस्यों के बीच मनमानी या अनुचित भेदभाव (जहां एक ही स्थिति प्रचलित हो) या अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए प्रछद्म प्रतिबंध उत्पन्न हो।



2. खाद्य सुरक्षा और व्यापार में एस.पी.एस की भूमिकाः

अतः डब्ल्यू.टी.ओ के एस.पी.एस समझौते, ने मानव, पशु और पौधे जीवन की रक्षा हेतु सरकारों के लिए एस.पी.एस उपायों की भूमिका तय की है जिनसे सुनिश्चित होता है कि इन उपायों से वैश्विक व्यापार को कोई हानि नहीं होगी। एस.पी.एस समझौता एक सार निर्मित करता है जिसमें अपने क्षेत्रों में मानव, पशु और पौधों के जीवन सरकारों द्वारा एस.पी.एस उपायों को आरंभ किया गया है।
   

एस.पी.एस समझौते के मानक कोड अपने पूर्ववर्ती रूप में हैं। इन दोनो समझौतों में मुख्य अंतर हैः


1. 1994 में 46 हस्ताक्षरकर्ताओं के साथ मानक संहिता एक बहुपक्षीय समझौता था, इस समझौते के लिए विशिष्ट विवाद निपटान तंत्र के साथ, टी.बी.टी और कुछ एस.पी.एस उपायों को कवर किया गया और सभी उत्पादों पर लागू किया गया।

2. 2007 में 150 पार्टियों (सभी डब्ल्यू.टी.ओ सदस्यों) के साथ एस.पी.एस समझौता एक बहुपक्षीय समझौता है, यह डी.एस.यू के अंतर्गत एक एकीकृत विवाद निपटान तंत्र है और दोनों उत्पादों तथा संबंधित प्रक्रियाओं और उत्पादन प्रणालियों के लिए आवेदन कर रहा है।
   

एस.पी.एस समझौते का प्रयोजन


एस.पी.एस समझौता उन सभी उपायों पर लागू होता है जिनका उद्देश्य सदस्यों के क्षेत्र में सुरक्षा करना होता हैः

1. कीटों, रोग से ग्रस्त या रोग पैदा करने वाले जीवों के प्रवेश से पशु और पौधों के जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा;

2. भोजन से उत्पन्न जोखिमों से मनुष्य या पशु जीवन या स्वास्थ्य (योज्य, संदूषक, विषाक्त पदार्थ या भोजन, पेय पदार्थों या पोषक पदार्थों में खाद्य पदार्थों में रोग पैदा करने वाले जीवों से उत्पन्न होने वाले जोखिमों) की रक्षा;

3. पशुओं, पौधों या उत्पादों के भीतर उत्पन्न रोगों से मानव जीवन या स्वास्थ्य की रक्षा;

4. कीटों के प्रवेश, जगह बनाने या फैलने से उत्पन्न अन्य क्षति से सदस्य के क्षेत्र की रक्षा।

इन उपायों में उपरोक्त निर्दिष्ट जोखिमों से मछली और जंगली जीव, साथ ही वन और जंगली वनस्पतियों के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए सैनिटरी और साइटो-सैनिटरी उपाय शामिल हैं।

   

एस.पी.एस और टी.बी.टी समझौते में संबंधः


एस.पी.एस और टी.बी.टी समझौते परस्पर अनन्य हैं (टी.बी.टी समझौते का अनुच्छेद - 1.5)।

1. एस.पी.एस समझौते में भोजन से उत्पन्न जोखिमों से मनुष्य या पशु जीवन या स्वास्थ्य; पशुओं, पौधों या उत्पादों के भीतर उत्पन्न रोगों से मानव जीवन या स्वास्थ्य की रक्षा करना; या कीटों के कारण होने वाली अन्य क्षति की रोकथाम करने के सारे उपाय शामिल हैं।

2. एस.पी.एस समझौते के परिशिष्ट क में परिभाषित सैनिटरी और साइटो-सैनिटरी उपायों के अतिरिक्त टी.बी.टी समझौते में उनके उद्देश्यों की परवाह किए बिना सभी तकनीकी नियमों, मानकों और अनुपालन मूल्यांकन प्रक्रियाएं शामिल हैं।


   

॥. एस.पी.एस सचिवालय के उद्देश्य और कार्यः


निर्यातकों के द्वारा मानकों को पूरा करने की सुनिश्चितता के माध्यम से एपीडा को भारत से कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य के निर्यात के संवर्धन का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। संगठन का 10वां बिंदु “निर्दिष्ट कार्य” निर्यातकों को पंजीकृत करने की शक्ति प्रदान करते हैं, कि निर्यात के समय मानकों की पुष्टि को सुनिश्चित करते हैं, मांस और मांस उत्पाद निर्माण संयंत्रों का निरीक्षण करते हैं, पैकिंग में सुधार करते हैं और प्रशिक्षण उपलब्ध करते हैं।

एस.पी.एस सचिवालय का उद्देश्य उभरते हुए अंतर्राष्ट्रीय मानकों और नियमों की बेहतर समझ के माध्यम से कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के भारतीय निर्यात में वृद्धि को सुनिश्चित करना है।

एस.पी.एस सचिवालय में एक द्विआयामी कार्य भारतीय कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के लिए वैश्विक बाज़ार में बाज़ार अभिगमन के अवसरों में सुधार करना होगा।

सबसे पहले ये सुनिश्चित करना है कि विभिन्न देशों में अपनाए गए उपायों में अंतर्राष्ट्रीय मानकों के साथ एक क्रम में विभिन्न देशों के द्वारा अपनाए गए एस.पी.एस उपायों को पूरा करने की दिशा में निर्यातकों को क्षमताओं में सुधार करने की मदद करने के द्वारा देश से एपीडा उत्पादों के निर्यात में बाधा उत्पन्न न करें।

दूसरा उन अन्य देशों द्वारा अपनाए गए उन उपायों की सूचना देना है जो एस.पी.एस समझौते में शामिल नहीं है और साथ ही भारत से निर्यात में उत्पन्न होने वाली अयोग्य बाधाओं को दूर करने के लिए भारतीय व्यापार भागीदारों के साथ इन मुद्दों को उठाना हैं।



॥।. कार्य के प्रयोजनः


एस.पी.एस सचिवालय में देश से भारतीय कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात के सभी क्षेत्रों में सशक्त तकनीकी विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी। तकनीकी अधिकारी के पास वैज्ञानिक मानकों, अधिनियमों, खाद्य कानूनों को अध्ययन करने तथा भारत में मानकों, अधिनियमों और खाद्य नियमों में परिवर्तन करने का प्रस्ताव रखने की क्षमता हो जिससे भारत कृषि निर्यातकों के लिए नए और उन्नत बाज़ारों तक पहुंच बना सके। सचिवालय के पास वैश्विक स्तर पर उत्पन्न होने वाले विभिन्न बाज़ार अभिगमन मामलों को समझने की क्षमता हो और वह निर्यातकों द्वारा सामना किए जाने वाली किसी भी समस्या का हल ढूंढ सके।


   

IV. एस.पी.एस सचिवालय हेतु कार्य प्रालेखः


1. विश्व व्यापार संगठन देशों से 77र-एस.पी.एस अधिसूचनाओं का संबोधन करने के लिए तकनीकी सहायता उपलब्ध करना।

2. एस.पी.एस मुद्दों का सामना करने के लिए तकनीकी प्रबुद्ध मंडल का विकास करना।


3. एपीडा अनुसूचित उत्पादों के लिए बाज़ार अभिगमन को सुगम बनाना।

4. एस.पी.एस अधिसूचनाओं का संबोधन करने के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक कार्य योजना को बनाना।

5. प्रसंस्करण और एस.पी.एस मुद्दों का सामना करने के लिए सर्वोत्त्म उपयुक्त प्राथमिक खाद्य / कच्चा माल उत्पादित करने लिए नवीनतम तकनीक की ओर प्रवृत्त करना।

6. प्रभावी संचार और समन्वय के लिए स्पष्ट रूप से निर्धारित और कार्यान्वित तंत्र के साथ राष्ट्रीय एस.पी.एस रूपरेखा को सक्रिय करना।

7. एस.पी.एस मुद्दों को कम करने के लिए नवीनतम तकनीक/प्रक्रिया/अभ्यास के पैकेजों को एकत्र करना।



हम एस.पी.एस अधिसूचनाओं को दो तरह से संबोधित कर सकते हैंः

  - तकनीकी अनुसंधान और आंकड़े की सहायता से अकादमिक रुप से एस.पी.एस अधिसूचनाओं का प्रत्युत्तर देना।

  - हम बाज़ार विशिष्ट आयात दिशा-निर्देशों (साइटो-सैनिटरी, पर्यावरण, श्रम, पैकेजिंग, जैविक और अजैविक कारकों आदि) के आधार पर किसानों/उत्पादकों को उन्मुख कर सकते हैं।


   विषय वस्तु विशेषज्ञ/ तकनीकी विशेषज्ञ के निम्नलिखित समूह संभालते हैंः-

     1. अधिकतम अवशिष्ट सीमाएं (एम.आर.एल)
       (क.) पौधे और उनके प्रसंस्कृत उत्पाद।
       (ख.) पशु और उनके प्रसंस्कृत उत्पाद।

     2. स्वास्थ्य जोखिम मुद्दे
       (क.) पशु (पशुजन्य रोग)
       (ख.) पौधे



  नोट करेंः विषय वस्तु विशेषज्ञ/ तकनीकी विशेषज्ञ के लिए वालंटियर के रुप में पंजीकरण करने के लिए कृपया यहां क्लिक करें

 

 

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