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बासमती निर्यात विकास संस्थान |
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बासमती निर्यात विकास संगठन (बी.ई.डी.एफ) की स्थापना कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास संगठन (एपीडा) द्वारा की गई है तथा यह सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत है। बी.ई.डी.एफ की गतिविधियों के उपयोग के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा एपीडा को 70 वर्षों के लिए दीर्घकालिक पट्टे पर 10 एकड़ जमीन उपलब्ध की गई है
एस.वी.पी कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मोदीपुरम, उत्तर प्रदेश के कैम्पस में इस भूमि पर कला प्रयोगशाला प्रदर्शन सह प्रशिक्षण (डी एंड टी) फार्म की स्थिति को स्थापित किया गया है। इन सुविधाओं में आरंभ की गई निम्नलिखित गतिविधियां शामिल हैः
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क. निर्यात में गुणवत्ता आश्वासन
1. बासमती चावल के किस्म अभिनिर्धारण हेतु डी.एन.ए फिंगरप्रिंटिंग;
2. भौतिक गुणवत्ता लक्षणों के आधार पर परीक्षण;
3. रियायर दर पर बासमती चावल के कीटनाशक अवशिष्टों तथा भारी मेटल सैम्पलों का परीक्षण
4. सैम्पल आधार पर किसानों के खेतों से लिए गए सैम्पलों के परीक्षण के द्वारा कीटनाशक अवशिष्टों पर आंकड़ों का जेनरेशन |
ख. कस्टम द्वारा तैयार किए गए सैम्पलों के लिए अधिकृत केंद्र
31 मार्च, 2010 के पॉलिसी परिपत्र संख्या 28 / 2009-14 में डी.जी.एफ.टी द्वारा किस्म के अभिनिर्धारण हेतु बासमती चावल के सैम्पलों के परीक्षण के लिए बी.ई.डी.एफ, मोदीपुरम को मान्यता प्राप्त केन्द्र के रुप में नामित किया गया है। तदनुसार, कस्टम द्वारा किस्म के अभिनिर्धारण के लिए सैम्पल निकाले जाते हैं तथा विश्लेषण हेतु इन सैम्पलों को एगमार्क परीक्षण केंद्रों के अतिरिक्त बी.ई.डी.एफ, मोदीपुरम में भेजा जाता है |
ग. बासमती प्रजनक/ आधार बीज का उत्पादन
1. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आवंटन के तहत डी एंड टी फार्म पर विनिर्दिष्ट प्रजनक बीज उत्पादन को आरंभ किया गया है
2. अगले खरीफ सीज़न में अतिरिक बिक्री के लिए किसानों की भूमि पर आधार बीज का गुणन किया गया है। इस ने बीज उत्पादन के लिए किसानों को क्षमता निर्माण की ओर अग्रसर किया है जिससे किसान, व्यापार में बीज आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बने हैं
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घ. किसान जागरुकता और क्षमता निर्माण
1. बासमती धान के निर्यातोन्मुख खेती के लिए उन्नत अभ्यास पैकेजों हेतु प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण
2. खरीफ सीज़न में हर वर्ष सात बासमती उत्पादन करने वाले राज्यों अर्थात् जम्मू और कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों तथा संबंधित राज्यों के कृषि विभाग के विस्तार अधिकारियों के लिए लगभग 15 कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। इन कार्यशालाओं को राज्य कृषि विश्वविद्यालय और आई.सी.ए.आर के क्षेत्रीय केंन्द्रों की तकनीकी / संकाय सहायता से आयोजित किया जाता है |
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ङ. भौगोलिक संकेत (जी.आई) उत्पाद के रुप में बासमती पंजीकरण का कार्यन्वयन
1. एपीडा के लिए अनिवार्य; 6 मार्च, 2009 का एपीडा (संशोधित) अधिनियम, 2009, भारत या भारत के बाहर के विशिष्ट उत्पादों के संबंध में पंजीकरण तथा बौद्धिक संपत्ति के संरक्षण का अधिकार। एपीडा अधिनियम में दूसरी अनुसूची को जोड़ा गया है। इस अनुसूची में उन उत्पादों के नाम शामिल हैं जिनके लिए एपीडा द्वारा इन उपायों को अपनाना अनिवार्य है। वर्तमान में, दूसरी अनुसूची में केवल एक प्रविष्टि अर्थात् “बासमती चावल” है।
2. 15 फरवरी, 2016 को जी.आई रजिस्ट्री, चेन्नई द्वारा एपीडा को जी.आई उत्पाद के रुप में बासमती चावल के पंजीकरण का प्रमाण-पत्र जारी किया गया है।
3. इस अधिदेश को कार्यान्वयन करने की दिशा में, एपीडा द्वारा घरेलू तथा निर्यात बाज़ारों में बासमती चावल के उत्पादन तथा आपूर्ति में प्रमाणिकता हेतु मॉनिटरिंग तथा ट्रेसबिल्टी लाने के लिए सॉफ्टवेयर आधारित प्रणाली को विकसित किया गया है। इस सॉफ्टवेयर को खरीफ 2017 से सात बासमती उत्पादित करने वाले राज्यों में लॉन्च किया गया है। किसानों के पंजीकरण की फील्ड गतिविधियों के विवरण, मिलों से यादृच्छिक सैम्पलों को एकत्र करना तथा मोदीपुरम प्रयोगशाला में परीक्षण को बी.ई.डी.एफ द्वारा समन्वित किया जाएगा।
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च. बासमती चावल की नई अधिसूचित किस्मों को समाविष्ट करने के लिए डी.एन.ए परीक्षण नायाचार के विस्तार हेतु सी.डी.एफ.डी, हैदराबाद के साथ कार्यरत होना
1. भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत डी.एन.ए फिंगरप्रिंटिंग और डायग्नोस्टिक्स केंद्र (सी.डी.एफ.डी) के द्वारा बासमती चावल के अभिनिर्धारण हेतु डी.एन.ए फिंगरप्रिंटिंग के लिए नयाचार विकसित किया गया है। सी.डी.एफ.डी द्वारा बासमती चावल की किस्म अभिनिर्धारण हेतु डी.एन.ए फिंगरप्रिंटिंग के लिए प्रक्रिया के आधार पर भारतीय मानक के प्रकाशन हेतु भारतीय मानक ब्यूरो (बी.आई.एस) का अनुसरण किया जा रहा है। सी.डी.एफ.डी द्वारा प्रस्तुत किया गया दस्तावेज़ पिछले कार्य पर आधारित था और यह प्रक्रिया बासमती की 11 किस्मों का अभिनिर्धारण करने में सक्षम है।
2. इसी बीच, बीज अधिनियम, 1966 के तहत भारत सरकार द्वारा बासमती की कई नई किसमों को अधिसूचित किया गया है। अतः, पिछले वर्ष एपीडा द्वारा सी.डी.एफ.डी से सभी अधिसूचित किस्मों को समाहित करने की प्रक्रिया का विस्तार करने का आग्रह किया गया। इन अधिसूचित किस्मों की संख्या उस समय 24 थी। बी.आई.एस द्वारा प्रकाशन को रोकने के लिए की सहमति मिल गई। साथ ही बी.आई.एस द्वारा सी.डी.एफ.डी से शीघ्र संशोधित प्रक्रिया विवरण प्रस्तुत करने का आग्रह किया गया। इस परियोजना में बी.ई.डी.एफ वैज्ञानिक तकनीकी रुप से सहायता प्रदान कर रहे हैं।
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छ. राष्ट्रीय बासमती परीक्षण हेतु गुणवत्ता विश्लेषण
भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (आई.आई.आर.आर), हैदराबाद, राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (एन.आर.आर.आई), कटक और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आई.ए.आर.आई), नई दिल्ली द्वारा बासमती परीक्षण, गुणवत्ता विश्लेषण किया जाता है।
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