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ग्वार गम |
भारत ग्वार गम अथवा समूह फली का मूल स्थान है यहां इसे सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है। ग्वार गम फली के तत्व से लिया जाता है जो खाद्य और जल को संग्रह करने का कार्य करता है। ग्वार गम लेग्यूम पौधा, सियामोप्सिस टेट्रागोनोलोबा के बीज के एण्डोस्पर्म में से आता है। यह वार्षिक पौधा है जिसे भारत के सूखे क्षेत्रों में पशु चारे की फसल के तौर पर उगाया जाता है। ग्वार की फली को मुख्य रुप से भारत और पाकिस्तान में उगाया जाता है और अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, चीन और अफ्रीका में छोटी फसल उगाई जाती है। इसे पशु चारे और कृषि में हरी खाद फसल के रूप में भी उपयोग किया जाता है। भारत में सैंकेड़ों वर्षों से ग्वार गम को सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है। ग्वार, वर्षा-सिंचित फसल है, इसे जुलाई-अगस्त में बोया जाता है और अक्टूबर-नवम्बर में काटा जाता है। फलीदार फसल होने के कारण ग्वार, नाइट्रोजन में सुधार लाकर मिट्टी उपजाऊ बनाता
ग्वार को उगाने का मौसम 14 -16 सप्ताह का होता है और इसके लिए यथोचित गर्म मौसम तथा हल्की वर्षा के साथ काफी धूप की आवश्यकता होती है। अत्यधिक वर्षा होने से पौधा ज्यादा पत्तीदार हो सकता है जिससे फली की संख्या या आकार और बीज की संख्या कम हो सकती है। इस फसल को आम तौर पर मानसून के बाद जुलाई के दूसरे भाग से लेकर अगस्त के पहले भाग में बोया जाता है और इसे अक्टूबर के अंत से लेकर नवम्बर के शुरू के दिनों में काटा जाता है। ग्वार स्वाभाविक रूप से एक वर्षा सिंचित फसल है। मानसून की वर्षा के आधार पर वर्ष - दर - वर्ष ग्वार की फसल का आकार बदलता रहता है।
ग्वार के बीज के छिलके को उतार कर, उसे पीस कर और छान कर ग्वार गम को प्राप्त किया जाता है। ग्वार गम सफेद से क्रीम रंग, मुक्त बह पाउडर और बाह्य पदार्थ से मुक्त कर उत्पादित किया जाता है। ग्वार गम (गेल्काटॉमेनन) एक उच्च आणविक भार कार्बोहाइड्रेट बहुलक है जो कि मैनोस और गैलेक्टोज इकाई की बड़ी संख्या के एक साथ जुड़ने से बना है। कच्चा ग्वार गम हल्के सफेद रंग का पाउडर होता है जो 90% पानी में घुल जाता है। यह एक गैर-आयनिक पॉलीसैकराइड है जो ग्वार सेम के पीसे हुए एण्डोस्पर्म पर आधारित है (फली का बीज सियामोप्सिस टेट्रागोनोलोबा)। ग्वार गम एंडोस्पर्म से बना होता है और इसमें छोटी मात्रा में फाइबर और मिनरल के साथ मोनोगालाक्टोसेस के चिपचिपे पोली समूह समाहित होते हैं।
ग्वार गम के विभिन्न ग्रेडों को उत्पादित करने के लिए अनेक विधियों का प्रयोग किया जाता है परंतु इसकी जटिल प्रकृति के कारण थर्मो यांत्रिक प्रक्रिया को सामान्यतः खाद्य ग्रेड और औद्योगिक ग्रेड ग्वार गम उत्पादित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
ग्वार का आटा ग्वार गम का गौण उत्पाद है जो ऊपरी बीज की परत और बीज सामग्री से बना होता है। गम निकासी के बाद, यह प्रोटीन का एक संभावित स्रोत है और इसमें लगभग 42% क्रूड प्रोटीन होता है। ग्वार के आटे में जो प्रोटीन होता है वो ऑयल केक के समतुल्य होता है।
ग्वार के बीज की खपत प्रणाली बड़े पैमाने पर पेट्रोलियम उद्योग की मांगों से प्रभावित है, भारत विश्व में ग्वार का 80 फीसदी उत्पादन करता है जिसमें से 72 फीसदी राजस्थान से आता है।
भारत से संसाधित ग्वार गम का 90 फीसदी निर्यात किया जाता है। ग्वार गम शुद्ध या व्युत्पन्न के विभिन्न ग्रेड के होते हैं। इसकी कठोर पदार्थों को निलम्बित करने, हाइड्रोजन सयोंजक से जल को बांधने की क्षमता, जलीय घोल की चिपचिपाहट को नियंत्रित करती है और एक मजबूत झिल्ली बनाती है जो विभिन्न उद्योगों में अपनी तीव्र गति से विकास और उपयोग के लिए उत्तरदायी है। इसका प्रयोग खाद्य, कागज और कपड़ा उद्योग में किया जाता है। परंतु गम के लिए सबसे अधिक मांग शेल गैस और तेल उद्योग के विस्तार के कारण है। निर्यात का 90% तेल और शेल गैस (एक प्राकृतिक गैस जो शीस्ट संरचनाओं में फंसी होती है) निचोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है। शुद्ध और अशुद्ध ग्वार गम एक बहुमुखी और कुशल जैव बहुलक है जो कि औद्योगिक अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रेणी जैसे तेल की ड्रिलिंग, कपड़ा छपाई, मानव भोजन और पालतू पशु खाद्य, कागज, विस्फोटक, जल उपचार, आदि को सम्मिलित किए है, जहां इसकी बाइंडिंग, झिल्ली की बनावट को मोटा करना और चिकनाई जैसे कारक महत्वपूर्ण हैं।
कृषि
क्षेत्र : राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश ग्वार गम के प्रमुख कृषि क्षेत्र हैं।
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भारत तथ्य और आकड़ें : भारत विश्व में ग्वार गम का प्रमुख निर्यातक है; यह बड़ी संख्या में देशों को ग्वार उत्पादों के विभिन्न रूपों का निर्यात करता है। वर्ष 2023-24 में देश से विश्व में 4,489.40 करोड़ / 541.65 मिलियन अमरीकी डॉलर की कीमत पर 417,674.38 मीट्रिक टन ग्वार गम टन का निर्यात किया गया।
प्रमुख निर्यात गंतव्य (2023-24): संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, रूस, नॉर्वे और नीदरलैंड ।
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