फलों और सब्जियों के बीज

भारत में फल और सब्जी बीज एक उच्च वृद्धि उद्योग के रूप में देखा जा रहा है। अगर अच्छी परिस्थितियों में संग्रहित किया जाए तो ज्यादातर बीज सामान्य रूप से 2 या 3 साल के लिए व्यवहार्य रहते है। इसलिए, बीज केवल ज्ञात प्रमाणित फर्म से खरीदें। अधिक ऊपज के लिए, उच्च कीमत वाले बीजों का 90% अंकुरण होना चाहिए। बीजों के अंकुरण के लिए पर्याप्त नमी, तापमान और वेंटिलेशन आवश्यक है। विभिन्न फलों और सब्जियों के बीजों के लिए तापमान की आवश्यकता स्पष्ट रूप से भिन्न होती है जो उस विशेष फल या सब्जी के बीज के लिए इष्टतम तापमान की आवश्यकता के आधार पर उच्च से निम्न तक भिन्न हो सकती है।

अंकुरण के लिए इष्टतम तापमान 4℃ और 40℃. के बीच भिन्न होता है। बोए गए बीज नमी को सोख लेते हैं और फूल जाते हैं, जिसके बाद बीजों में प्राणवायु क्रियाएं होने लगती हैं। इन महत्वपूर्ण गतिविधियों में श्वसन शामिल है जिसमें ऊर्जा की आपूर्ति की जाती है और ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है, इस प्रकार ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए वातन आवश्यक है पानी की अत्यधिक आपूर्ति खराब वातन की ओर ले जाती है और बीज के अंकुरण में बाधा डालती है। बीजोपचार बीज बोने का पहला चरण है जहां प्रथम उपचार में कैल्शियम हाइपोक्लोराइट, मर्क्यूरिक क्लोराइड और ब्रोमाइड पानी का उपयोग करके बीजों की सतह को कीटाणुरहित किया जाता है जो अंकुरण प्रक्रिया को बाधित करने वाले हानिकारक सूक्ष्मजीवों को खत्म करने में मदद करता है।

दूसरा बीज उपचार बीजों के भीतर मौजूद हानिकारक जीवों के उन्मूलन के लिए गर्म पानी, फॉर्मल्डेहाइड और मरक्यूरिक क्लोराइड का उपयोग करता है। गर्म पानी के उपचार में सूखे बीजों को 10 से 15 मिनट के लिए 45 से 550 सेल्सियस तक गर्म पानी में डुबा कर रखा जाता है। तीसरे बीज उपचार में बीजों को मृदा कवक से बचाने के लिए कवकनाशी का उपयोग किया जाता है। बीज उपचार के बाद, नर्सरी क्यारियां तैयार करने की आवश्यकता होती है जहां बुवाई से पहले मिट्टी को सबसे पहले भिगोना होता है।


सब्जी के बीजों को नर्सरी सेज में 1.5-2 सेमी लाइनों में बोया जाना चाहिए। सतह के नीचे 5-6 सेमी की दूरी पर बोयें। लाइन से लाइन की दूरी 10-15 सेमी. होनी चाहिए। बुवाई के बाद छनी खाद के साथ बीज को मामूली मात्रा में कवर करें। सेज में पानी फव्वारे से दिया जाना चाहिए। बीज के आकार व सब्जियों की तरह पौधों के प्रकार के हिसाब से, पौधे से पौधे या पंक्ति से पंक्ति की दूरी बदली जा सकती है।

इसी प्रकार खाद के साथ कवर की गई गहराई बीज के प्रकार के आधार पर बदली जा सकती है। बहुत अच्छे बीज नर्सरी सेज पर झाड़े जा सकते है। अन्य बीज के कवर अपनेन्यूनतम व्यास से एक से दो गुना हो सकते है। पानी की अधिक मात्रा उच्च आर्द्रता और कम वेंटिलेशन “अवमन्द क बंद ” रोग के लिए योगदान देते है।


इस उप-शीर्ष के तहत व्यक्तिगत उत्पाद इस प्रकार से हैंः

मीठी चुकंदर के बीज अनार के बीज
चुकंदर के बीज टमाटर के बीज
तिपतिया घास के बीज इमली के बीज
राई घासके बीज सब्जियों के बीज
दांतेदार घासके बीज फलों के बीज
पत्तागोभी के बीज चारापौधों के बीज
फूलगोभी के बीज जड़ी-बूटी पौधों के बीज
प्याज के बीज केंटकी ब्लूग्रास के बीज
मटर के बीज अन्य बीज
मूली के बीज  

किस्में:
भारत में प्रमुख रुप से चुकंदर के बीज, गोभी के बीज, फूलगोभी के बीज, फल के बीज, प्याज़ के बीज, मटर के बीज, अनार के बीज, मूली के बीज, इमली के बीज और अन्य बीज आदि उगाए जाते हैं।


खेती के क्षेत्रः
महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा।


भारत तथ्य और आंकड़े :
देश ने वर्ष 2023-24 के दौरान विश्व को 1004.96 करोड़ रुपए / 121.39 अमरीकी मिलियन डॉलर मूल्य का 14453.77 मीट्रिक टन फल और सब्जियों के बीज का निर्यात किया है।


प्रमुख निर्यात गंतव्य (2023-24): सन्युक्त राज्य अमेरिका, नीदरलैंड, बांग्लादेश, फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात, थाइलैंड और केन्या उक्त अवधि के दौरान भारतीय बीजों के मुख्य आयातित देश थे।