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जैविक उत्पाद
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जैविक उत्पादों की खेती रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग के बिना, एक पर्यावणात्मक और सामाजिक उत्तरदायी दृष्टिकोण के साथ की जाती है। यह एक ऐसी खेती है जिसमें कार्य की शुरूआत जड़ से होती है और इसमें मृदा की उर्वरा शक्ति उत्तम पादप पोषण और मृदा प्रबंधन मूल रूप से संरक्षित रहती है जिससे रोगों की प्रतिरोधक क्षमता वाले बेहतर पोषण उत्पाद उपजते हैं।
भारत में विविध कृषि जलवायु क्षेत्रों के कारण विविध किस्मों के जैविक उत्पादों के उत्पादन की वृहत क्षमता उपलब्ध है। देश के कई भागों में मिली जैविक कृषि की परम्परा एक अतिरिक्त सुअवसर है। निर्यात बाज़ार की तीव्र बढ़ोतरी के फलस्वरूप देशीय बाजार में भी उत्तरोत्तर प्रगति हो रही है जो जैविक उत्पादकों के लिए अपने उत्पादों की निरंतर विक्रय के लिए आशाजनक संकेत है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, विश्व के जैविक कृषि योग्य भूमि के संबंध में भारत दूसरे स्थान पर है और उत्पादकों की कुल संख्या के संबंध में पहले स्थान पर है (स्रोतः एफ.आई.बी.एल और आई.एफ.ओ.एम वार्षिक पुस्तिका 2024)।
एपीडा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एन.पी.ओ.पी) कार्यांवित किया गया है। इस कार्यक्रम में प्रमाणीकरण निकायों के लिए प्रत्यायन, जैविक उत्पादन के लिए मानदण्डों, जैविक खेती के संवर्धन और विपणन आदि को शामिल किया गया है। अप्रसंस्कृत कृषि उत्पादों के लिए उत्पादन और प्रत्यायन प्रणाली हेतु राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के मानकों को यूरोपीय आयोग और स्विटज़रलैंड ने अपने देश के मानकों के समकक्ष माना है। इन अभिनिर्धारणों के साथ प्रत्यायन प्रमाणीकरण निकायों द्वारा यथा प्रमाणित भारतीय जैविक उत्पादन आयातित देशों द्वारा स्वीकार किए जाते हैं। साथ ही एपीडा ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, ताइवान, कनाडा, जापान आदि के साथ द्विपक्षीय समानता की प्रक्रिया में है।
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क्षेत्र
31 मार्च, 2024 से जैविक प्रमाणीकरण प्रक्रिया (राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत पंजीकृत) के अंतर्गत कुल 7.3 एमएचए (2023-24) है। इसमें 44,75,836.91 हैक्टेयर खेती योग्य क्षेत्र और 28, 50,156.48 हैक्टेयर जंगली फसल संग्रह शामिल है।
सभी राज्यों में जैविक प्रमाणीकरण के अधीन सबसे अधिक क्षेत्र मध्य प्रदेश में है जिसके बाद महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, ओडिशा, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश है।
उत्पादन
भारत द्वारा प्रमाणित जैविक उत्पादों का लगभग 3.6 मिलियन मीट्रिक टन (2023-24) उत्पादन किया गया जिसमें खाद्य उत्पादों जैसे कि तिलहन, गन्ना, अनाज और मिलेट्स, कपास, दालें, सुगंधित एवं औषधीय पौधे, चाय, कॉफी, फल, मसाले, ड्राई फ्रूट्स, सब्जियां, प्रसंस्कृत खाद्य आदि शामिल हैं। यह उत्पादन केवल खाद्य उत्पादों तक ही सीमित नहीं है अपितु जैविक कपास फाइबर, प्रयोजनमूलक खाद्य उत्पाद आदि का भी उत्पादन किया जा रहा है।
विभिन्न राज्यों में जैविक प्रमाणीकरण के अधीन सबसे अधिक क्षेत्र महाराष्ट्र में है जिसके बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और गुजरात है। कमोडिटीज़ के मामले में, फाइबर फसलों की सबसे बड़ी एकल श्रेणी हैं जिसके बाद तिलहन, चीनी फसलें, अनाज और मिलेट्स, औषधीय / हर्बल और सुगंधित पौघे, मसाले एवं बघार, ताजे फल सब्जियां, दाल, चाय और कॉफी है।
निर्यात
वर्ष 2023-24 के दौरान कुल निर्यात मात्रा 2,61,029 मीट्रिक टन थी। जैविक खाद्य निर्यात विक्रय 4007.91 करोड़ रूपए (494.80 मिलियन अमरीकी डॉलर) थे। जैविक उत्पादों का निर्यात संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा, ग्रेट ब्रिटेन, श्री लंका, स्विट्जरलैंड, वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड, न्यूजीलैंड, जापान, कोरिया गणराज्य आदि को किया जाता है।
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